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बिकाऊ मीडिया -व हमारा भविष्य

: : : क्या आप मानते हैं कि अपराध का महिमामंडन करते अश्लील, नकारात्मक 40 पृष्ठ के रद्दी समाचार; जिन्हे शीर्षक देख रद्दी में डाला जाता है। हमारी सोच, पठनीयता, चरित्र, चिंतन सहित भविष्य को नकारात्मकता देते हैं। फिर उसे केवल इसलिए लिया जाये, कि 40 पृष्ठ की रद्दी से क्रय मूल्य निकल आयेगा ? कभी इसका विचार किया है कि यह सब इस देश या हमारा अपना भविष्य रद्दी करता है? इसका एक ही विकल्प -सार्थक, सटीक, सुघड़, सुस्पष्ट व सकारात्मक राष्ट्रवादी मीडिया, YDMS, आइयें, इस के लिये संकल्प लें: शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।: : नकारात्मक मीडिया के सकारात्मक विकल्प का सार्थक संकल्प - (विविध विषयों के 28 ब्लाग, 5 चेनल व अन्य सूत्र) की एक वैश्विक पहचान है। आप चाहें तो आप भी बन सकते हैं, इसके समर्थक, योगदानकर्ता, प्रचारक,Be a member -Supporter, contributor, promotional Team, युगदर्पण मीडिया समूह संपादक - तिलक.धन्यवाद YDMS. 9911111611: :
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Sunday 23 December 2012

गीता जयन्ती 23 से 25 /12/12

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izfrfuf/k lHkk fnYyh ds egkea=h Jh Hkw"k.k yky ikjk’kj us crk;k fd xhrk t;arh ds miy{k esa fnYyh ds 1500 ls vf/kd fo/kkfFkZ;ksa us fnYyh esa 20 LFkkuksa ij vk;ksftr xhrk Kku izfr;ksfxrkvksa esa izfrHkkxh cudj vkxkeh ih<+h ds fy, lqlaLdkj dk ekxZ iz’kLr fd;k gSA mijksDr lHkh dk;ZØeksa esa fnYyh ds lHkh eafnjksa dh izcU/k lfefr;ksa dks vkeaf=r fd;k x;k gSA
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है| -युगदर्पण

Monday 17 December 2012

"यात्रा 2009-2014, आम से गुठली तक"


"यात्रा 2009-2014, आम से गुठली तक" 


युग दर्पण हिंदी राष्ट्रीय समाचारपत्र  (के कम्पू जी )....
प्र.2009 में नारा था आम आदमी, 
अब तक आम का चूस चूस कर गुठली बन गया
-यदि 2014 तक देश बचा रहा, तब। 2014 में क्या नारा रहेगा ?

उ.- राहुल बाबा आएंगे, गुठली सरकार लायेंगे 
चूस चूस के खायेंगे, देश की गुठली बनायेंगे।। 
चमचो ताली बजाओ, हा हा हा 
इस देश को लुटने से बचाने तथा बिकाऊ मैकालेवादी, शर्मनिरपेक्ष मीडिया का एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प युगदर्पण 12 वर्ष से सतत संघर्षरत। तब मैकालेवाद तथा बिकाऊ मैकालेवादी, शर्मनिरपेक्ष मीडिया से भ्रमित प्रभावित, युगदर्पण समाचार पत्र के विरोध में खड़े रहते थे, समर्थन में नहीं। आज आवाजें उठाने सुनने वाले अनेक हैं। YDMS की विविधता, व्यापकता व लेखन का परिचय: युगदर्पण मीडिया समूह YDMS में राष्ट्रवाद के विविध विषय के 25 ब्लाग, 5 चेनल, orkut, FB, ट्वीटर etc सहित एक वेब भी है। 
मैं युगदर्पण मीडिया समूह YDMS के साथ हूँ, क्या आप भी साथ देना चाहते हैं ? आइयें, हम सब अलग अलग न रह कर या अलग अलग रहते भी, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS के साथ मिलकर चलें। अपनी पसंद का विषय 25 में से एक लेकर, मिलकर ही हम बिकाऊ मैकालेवादी, शर्मनिरपेक्ष मीडिया को परास्त कर सकते हैं। -तथा "राष्ट्र वादी मीडिया" उसका विकल्प बन सकता है।"वन्देमातरम" को अपना मंत्र बनायें। 
अँधेरे के साम्राज्य से बाहर का एक मार्ग…remain connected to -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 … www.yugdarpan.com
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Friday 14 December 2012

फेक बुक पोल खोल -भा.1

फेक बुक पोल खोल -भा.1 
Most important, Read Full, सर्वाधिक महत्वपूर्ण, पूर्ण पढ़ें,
वंदे मातरम, जो राष्ट्रवाद के YDMS से प्यार व समर्थन करते हैं, किंतु अभी आगे से यहाँ संपर्क नहीं मिलता है और मुझे (हिंद के रक्षक) पढ़ने के लिए चाहते हैं। वे 25 ब्लॉगों, 5 चैनल, वर्डप्रेस.कॉम, आर्कट, ट्वीटर सभी लिंक के रूप में वेब yugdarpan.com पर(दिखाया गया) है, आयें पका स्वागत हैं। यहाँ FB में सन्देश या टिप्पणी पोस्ट करना अवरुद्ध है। पके समर्थन के लिए प सभी का आभारी हूँ।
फेस बुक/ फेक बुक 'नकली पुस्तिका' से सभी प्रकार के राष्ट्र विरोधी कृत्यों की अनुमति दी जाती है, क्यों ? क्योंकि, हम उनके विरोध में कभी शिकायत नहीं करते, करें तब कार्यवाही नहीं लेकिन वे तत्व कभी नकली शिकायत, स्पैम के रूप में करते है, और 'नकली पुस्तिका प्रबंधन' के लिए हमारे जैसे अनेक पर कार्यवाही स्पैम जाँच के बिना, क्यों आवश्यक रहती है ? वे संज्ञान (Cognition) लेकर हम में से कई खाते ब्लॉक कर देते हैं। हिंद के रक्षक, YDMS जोरदार शब्दों में विरोध करता है हमारे प्रबल विरोध से, फेक बुक (नकली पुस्तिका) द्वारा, मेरे पर पूर्ण प्रतिबंध भी हो सकता है। अंतरताना एक आकाश की सीमा से बाहर नहीं है, जोकि मेरे विरोध प्रदर्शन के लिए खुला है। Orkut.co.in, blogger.com वर्डप्रेस.कॉम आदि- सभी अमेरिकन प्लान प्रतिस्पर्धा के शब्द हैं।    जब 'नकली पुस्तिका प्रबंधन' सभी सक्रिय राष्ट्र विरोधी के कहने से एक तरफ़ा प्रतिबंध से, वे 'जैसे को तैसा' करने के लिए, हमें बाध्य (मजबूर) कर रहे हैं। हमारे कहने से खाते बंद करने पर तो नकली बही एक विशाल रद्दी भंडार हो सकता है। तथा बंद न करने से पक्ष -पात का प्रमाण। 
आज क्यों, हिंद के रक्षक, का खाता अवरुद्ध करने से हम एक सन्देश और FR भेजने, या टिप्पणी पोस्ट व Like करने में, असमर्थ है ?
खाता क्यों अवरुद्ध है ? मैने किसी भी समय स्पैम नहीं भेजा है। आत्म पते पर ही पूर्व प्रकाशि पोस्ट को टैग जोड़ने के प्रयास में स्पैम का नाम देकर खाता अवरुद्ध करना, कैसा व्यवहार है ? क्या किसी के कहने से किया ? जब आगे नया साल, दोस्त बनाने के लिए समय है। तब क्या समस्या है ? 
अमेरिकन प्लान फेक बुक (नकली पुस्तिका प्रबंधन) से भारतीय "हिंद के रक्षक" का सीधा प्रश्न -क्या, अपने पोस्ट में टैग जोड़ने के लिए प्रयास, मित्रता और पोस्ट एक अपराध है ? क्या, यहाँ हमारा खाता एक सजावटी वस्तु हैं ? हा हा हा, क्या यह एक विचार है (What an idea it is)अवरुद्ध खाते में से 90% ऐसे कर रहे हैं। और सभी डेटा एक रद्दी (कबाड़) है। क्या एक अच्छा नकली पुस्तक कबाड़ प्रबंधन की (शर्तें) नीति और एक रद्दी वर्ष के लिए फेक (नकली बही) बुक से भारतीय "हिंद के रक्षक" का 2013 मुबारक।  ....आपका "हिंद के रक्षक" ...(आगे भा.2)
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Sunday 9 December 2012

बिकाऊ शर्मनिरपेक्ष मीडिया का विकल्प युगदर्पण

इस देश को लुटने से बचाने तथा बिकाऊ मैकालेवादी, शर्मनिरपेक्ष मीडिया का एक मात्र सार्थक, व्यापक, विकल्प युगदर्पण 12 वर्ष से सतत संघर्षरत। तब मैकालेवाद तथा बिकाऊ मैकालेवादी, शर्मनिरपेक्ष मीडिया से भ्रमित प्रभावित, युगदर्पण समाचार पत्र के विरोध में खड़े रहते थे, समर्थन में नहीं। आज आवाजें उठाने सुनने वाले अनेक हैं। YDMS की विविधता, व्यापकता व लेखन का परिचय: युगदर्पण मीडिया समूह YDMS में राष्ट्रवाद के विविध विषय के 25 ब्लाग, 5 चेनल, orkut, FB, ट्वीटर etc सहित एक वेब भी है। 
मैं युगदर्पण मीडिया समूह YDMS के साथ हूँ, क्या आप भी साथ देना चाहते हैं ? आइयें, हम सब अलग अलग न रह कर या अलग अलग रहते भी, युगदर्पण मीडिया समूह YDMS के साथ मिलकर चलें। अपनी पसंद का विषय 25 में से एक लेकर, मिलकर ही हम बिकाऊ मैकालेवादी, शर्मनिरपेक्ष मीडिया को परास्त कर सकते हैं। -तथा "राष्ट्र वादी मीडिया" उसका विकल्प बन सकता है।"वन्देमातरम" को अपना मंत्र बनायें। 
अँधेरे के साम्राज्य से बाहर का एक मार्ग…remain connected to -युगदर्पण मीडिया समूह YDMS. तिलक रेलन 9911111611 … www.yugdarpan.com
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Tuesday 4 December 2012

भाजपा नेतृत्व दूसरी पीढ़ी के नेताओं के हाथ।


भाजपा नेतृत्व दूसरी पीढ़ी के नेताओं के हाथ राजनैतिक विचार मंथन  Like, comment, share, tag 50 frnds


भाजपा के मुख्य मंत्री दाएं से बाएं, नरेंद्र मोदी (गुजरात), रमन सिंह (छत्तीसगढ़), पीके धूमल (हिमाचल प्रदेश), 
पू. मु. मं. अर्जुन मुंडा (झारखंड), रमेश पोखरियाल निशंक (उत्तराखंड) और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी

अंतत: सुषमा जी ने प्रधानमंत्री पद के लिए एक 'सशक्त प्रत्याशी" के रूप में नरेंद्र मोदी का समर्थन किया।"  भाजपा में आडवाणी जी की संभावना को 2009 में जिस तरह से नष्ट होते देखा गया तथा सुषमा जी, सीमित सार्वजनिक आकर्षण के साथ एक अच्छी वक्ता है। इन के बाद प्रशासकीय क्षमता में गडकरी स्वयं की भूमिका वास्तव में जानता है तथा शक्ति खेल से बाहर ही रहा है। जेटली ने लोकसभा चुनाव कभी नहीं जीता है। वह और गडकरी संभवत: इस पद के लिए सभी से कम योग्य हैं। तब नेतृत्व का सारा  दायित्व दूसरी पीढ़ी पर ही आता है।
सब से पहले, शर्मनिरपेक्ष मीडिया द्वारा शीर्ष भाजपा नेतृत्व की वर्तमान पीढ़ी के नेताओं के बारे में सदा अप्रचार चलता रहा तथा अब तक जारी है किन्तु एक नए रूप में, जैसे कि इनकी उपयोगिता समाप्त हो गयी है। ये लोग क्षुद्र प्रतिद्वंद्विता में फंस गए हैं। और औसत दर्जे का एक पठार तक पहुँच चुके हैं।... तथा इस अगली पीढ़ी के भाजपा मुख्यमंत्रियों पर कलंक लगाने के सफल असफल प्रयास भी चलते रहे हैं।              वास्तव में केंद्र का पूरा तंत्र, मीडिया की पूरी टीम समेत, सभी शर्मनिरपेक्ष  सदा भाजपा के प्रतिद्वंद्वियों की तरह व्यवहार करते रहे हैं। दूसरी ओर, जहाँ मीडिया के बल पर 65 वर्ष कांग्रेस पार्टी के हर नेता ने सदा बयानबाजी और नारेबाजी से जनता को भरमाया है। किन्तु, वहीं शर्मनिरपेक्ष मीडिया के प्रतिद्वंद्वी बन जाने पर भी स्पष्ट है; कि भाजपा नेताओं को जनता द्वारा जब तब मुख्यमंत्री के रूप में प्रदर्शन का एक अवसर देने पर भी वह दिखा देते हैं, कि भाजपा शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्री प्रबंधन में समक्ष हैं। 
चाहे वे भाजपा के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी (गुजरात), रमन सिंह (छत्तीसगढ़), पीके धूमल (हिमाचल प्रदेश) हो अथवा पू.मु.मं. अर्जुन मुंडा (झारखंड), रमेश पोखरियाल निशंक (उत्तराखंड) यदूरपा (कर्नाटक) और बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील मोदी हो।  इन सब के बीच कुछ नेताओं ने जनता का विश्वास जीत लिया और बने रहे, तथा अन्य कुछ नेता सच्चे होकर भी असफल रहे। तब विफल रहे नेता को अयोग्य प्रबंधक कहलाने का दंश भी झेलना पड़ गया। जबकि विशाल दक्षिण भारतीय क्षेत्र में भाजपा के पैर जमाने में, विशेषकर कर्नाटक एक काफी महत्वपूर्ण राज्य था।
गुजरात चुनाव में कांग्रेस को एक राजनीतिक झटका देने की क्षमता भाजपा में है। अत: भाजपा शासित राज्यों के सभी मुख्यमंत्रियों ने, न केवल किसी भी दुराव छिपाव के बिना मोदी का समर्थन किया है, किन्तु उसके लिए चुनाव प्रचार भी किया गया है। यह भीड़ को उत्साहित करने में ही नहीं चाहिए, किन्तु इसका दीर्घकालिक व दूरगमी प्रभाव भाजपा के भविष्य (चुनाव 2014) पर भी रहना है। 
शर्मनिरपेक्ष कांग्रेस के लिए संभवत: अयोग्य प्रबंधन यह सामान्य बात है, ऐसा करने तथा भ्रष्टाचार के कारण उसने जनता का यह विश्वास खो दिया है, वह वापस नहीं हो सकता। किन्तु भाजपा के सभी मुख्यमंत्रियों ने दिखाया है कि वे कैसे दक्षता के साथ शासन करने के लिए योग्य हैं। तो हम जानते हैं कि वे सभी सक्षम पुरुष हैं।  पूरे कांग्रेस मशीनरी के उनके खिलाफ रहने के बाद भी, उनमें से BSY के अलावा अन्य कोई भी, किसी भी मामले में नहीं फंसा है। हम जानते हैं कि वे सब बहुत ईमानदार है। वे हर बार चुनाव सरलता से जीत लेते है। 
तो हम जानते हैं कि इन लोगों में वह जनाकर्षण है और ये राष्ट्रीय स्तर पर इसका उपयोग कर सकते हैं। उनका उत्साह साफ नजर आता  है किन्तु स्पष्ट है कि अहं किसी में हीं नहीं दिख रहा है। स्पष्ट रूप से वे, राष्ट्रीय परिदृश्य में मोदी के बड़ते कदम के आसपास भी न रहने से परेशान नहीं हैं। इन लोगों से मुझे आशा जागी है कि भाजपा नेताओं में, हमें अगले दशक में और उसके बाद भी नेतृत्व करने के लिए एक दूसरी पीढ़ी उपलब्ध है।
 ऐसे सक्षम नेतृत्व की एक दूसरी पीढ़ी भविष्य में भाजपा को एक बहुत ही महत्वपूर्ण खिलाड़ी बना देगी। जबकि राहुल और प्रियंका के रहते कांग्रेस आलाकमान की किसी को इनके आसपास भी लाने की कोई इच्छा नहीं है। तृणमूल कांग्रेस सहित क्षेत्रीय पार्टियाँ या तो सभी परिवार चलाने के लिए या एक व्यक्तित्व पंथ पर आधारित हैं। वहां दूसरी पीढ़ी के नेतृत्व की कोई सम्भावना नहीं है। वाम पंथ का रूस -चीन मोह स्पष्ट रूप से देख जान कर एक राष्ट्रीय बन सकना असंभव है।
यही कारण है कि हमें भाजपा के भविष्य के बारे में जानकर अच्छा लगता हैं। यदि हम केवल वर्तमान गंदगी से उठ कर चल सकते हैं और 2014 जीतने के लिए एक मार्ग मिल सकता हैं।आइयें, इस के लिये संकल्प लें: भ्रम के जाल को तोड़, अज्ञान के अंधकार को मिटा कर, ज्ञान का प्रकाश फेलाएं। आइये, शर्मनिरपेक्ष मैकालेवादी बिकाऊ मीडिया द्वारा समाज को भटकने से रोकें; जागते रहो, जगाते रहो।।
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पूज्य रामसेवको को ससम्मान श्रद्धांजलि ।


राम जन्म स्थल पर, पूज्य रामसेवको के देवलोक गमन पर,  ससम्मान श्रद्धांजलि ।

हंसी भी आती है 
होती है वेदना भी। 
वो संविधान, 
जिस पर 
मेरे जैसे 
राम वाले ने 
ना कभी अंगूठा लगाया 
ना हस्ताक्षर किये, 
महाजन की हुंडी सा 
हर सांस पर लगान वसूलता ;
धर्म-निरपेक्षता के (शर्म-निरपेक्षता)
अर्थ, तक नहीं जानता जो 
बिठाता है (?)
न्याय की कुर्सियों पर 
भिश्तियों और गुलामों को !!
वहाँ 
मेरे राम का न्याय होगा। 
एक वीभत्स प्रहसन है।। 
स्वाहा हो चुके 
राम सेवको की लाशो पर 
रोटिया सकते दल 
राम और रामायण की 
प्रासंगिकता को नकारते 
वोटो की खातिर (दलाल)
आत्मा तक बेच चुके जो, 
वो (?)
पहरे लगाते है।। 
जानते नहीं 
कितने राम 
बसते है 
हर हिन्दू ह्रदय में ??
जो जानता है 
वो हसता है
अधम वर्णसंकर जमात पर; 
जो काबिज है 
पदों पर 
मीडिया पर 
न्यायालयों में।। 
चौखट चूमती 
अपराधियों 
और 
बलात्कारियों की 
जूठन खाती 
लिजलिजी व्यवस्था ;
एक कोढ़ है 
मेरे भारत पर।। 
और 
ये सब 
देखते मेरे राम 
मौन बैठे है 
समुद्र तट पर, 
राह माँगते। 
और दुष्ट रावण 
अट्टहास करता 
इसे समझ बैठा है 
पराजय।।
अब विभीषण जागे है 
अब राम को 
क्रोध भी आया है ,
बाण तुणीर से धनुष तक 
आते ही ,
सागर देगा 
स्वयं राह 
ये तय है। 
बाकी सब लीला है 
और  
आज राक्षस 
अट्टहास करते है, 
क्योंकि 
थोड़े ही प्राण बाकी है।। 
- जय श्री राम !
source: Tarun's Diary
हिन्दू धर्म की निशानियों के लिए, लड़कपन में ही जान लुटा चुके वानर वीरो तुल्य पूज्य रामसेवको के देवलोक गमन पर,  ससम्मान श्रद्धांजलि ।
"मुझे गर्व है कि मैं राम को मानता हूँ , मुझे संतोष है कि मैं धर्म को जानता हूँ " 
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कभी विश्व गुरु रहे भारत की, धर्म संस्कृति की पताका; विश्व के कल्याण हेतू पुनः नभ में फहराये | - तिलक


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समान प्रकृति के ब्लाग का संकलक 
तिलक संपादक युगदर्पण मीडिया समूह,

Thursday 29 November 2012

ज्ञान विज्ञान की जन्मभूमि व तेज भारत में था

ज्ञान विज्ञान की जन्मभूमि व तेज भारत में था

 भा रत और भारत के लोगों के बारे में एक धारणा विश्व में बनाई गई कि भारत जादू-टोना और अंधविश्वासों का देश है। अज्ञानियों का राष्ट्र है। भारत के निवासियों की कोई वैज्ञानिक दृष्टि नहीं रही, न ही विज्ञान के क्षेत्र में कोई योगदान है। 
भारत के संदर्भ में यह प्रचार (BrainWash) विचार रिवर्तन लंबे समय से आज तक चला आ रहा है। रिणाम यह हुआ कि अधिकतर भारतवासियों के अंतर्मन में यह बात अच्छे से बैठ गई कि विज्ञान यूरोप की देन है। विज्ञान का सूर्य पश्चिम में ही उगा था, उसी के प्रकाश से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है। 
इसका दुष्परिणाम यह हुआ कि आज हम हर बात में पश्चिम के पिछलग्गू हो गए हैं क्योंकि हम पश्चिम की सोच को वैज्ञानिक सम्मत मानते हैं, भारत की नहीं। पश्चिम ने जो सोचा है, अपनाया है वह मानव जाति के लिए उचित ही होगा। इसलिए हमें भी उसका अनुकरण करना चाहिए। 
भारत में योग पश्चिम से योगा होकर आया, तो जमकर अपनाया गया। आयुर्वेद की चिकित्सा पद्धति को हटाकर एलोपैथी के व्यवसाय को अपनाया लोगों की आंखें तब खुली, जब आयुर्वेद पश्चिम से हर्बल का लेवल लगाकर आया। भारत में विज्ञान को लेकर जो वातावरण निर्मित हुआ उसके लिए हमारे देश के कर्णधार व नकी नीतियाँ ही जिम्मेदार हैं। जिन्होंने भी शोध और विमर्श के बाद भी, भारतीय शिक्षा व्यवस्था में, भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा को शामिल नहीं किया। भारत के छात्रों का क्या दोष, जब उन्हें पढ़ाया ही नहीं जाएगा; तो उन्हें कहां से मालूम चलेगा कि भारत में विज्ञान का स्तर कितना उन्नत था। 
    विज्ञान और तकनीकी मात्र पश्चिम की देन है या भारत में भी इसकी कोई परंपरा थी? भारत में किन-किन क्षेत्रों में वैज्ञानिक विकास हुआ था? विज्ञान और तकनीकी के अंतिम उद्देश्य को लेकर क्या भारत में कोई विज्ञानदृष्टि थी? और यदि थी तो आज की विज्ञानदृष्टि से उसकी विशेषता क्या थी? आज विश्व के सामने विज्ञान एवं तकनीक के विकास के साथ जो समस्याएं खड़ी हैं; उनका समाधान क्या भारतीय विज्ञान दृष्टि में है? ऊपर के पैरे को पढ़कर निश्चित तौर पर हर किसी के मन में यही प्रश्न हिलोरे मारेंगे तो इनके उत्तर के लिए 'भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा' पुस्तक पढऩी चाहिए। 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक सुरेश सोनी की इस पुस्तक में भी प्रश्न के उत्तर   निहित हैं। पुस्तक में कुल इक्कीस अध्याय हैं। धातु विज्ञान, विमान विद्या, गणित, काल गणना, खगोल विज्ञान, रसायन शास्त्र, वनस्पति शास्त्र, प्राणि शास्त्र, कृषि विज्ञान, स्वास्थ्य विज्ञान, ध्वनि और वाणी विज्ञान, लिपि विज्ञान सहित विज्ञान के अन्य क्षेत्रों में भारत का क्या योगदान रहा; इसकी विस्तृत चर्चा, प्रमाण सहित पुस्तक में की गई है। यही नहीं, यह भी स्पष्ट किया गया है कि विज्ञान को लेकर पश्चिम और भारतीय धारणा में कितना अंतर है। जहां पश्चिम की धारणा उपभोग की है, जिसके नतीजे आगे चलकर विध्वंसक के रूप में सामने आते हैं। वहीं भारतीय धारणा लोक कल्याण की है। 
सुरेश सोनी मनोगत में लिखते हैं कि आचार्य प्रफुल्लचंद्र राय की 'हिन्दू केमेस्ट्री', ब्रजेन्द्रनाथ सील की 'दी पॉजेटिव सायन्स ऑफ एन्शीयन्ट हिन्दूज', राव साहब वझे की 'हिन्दी शिल्प मात्र' और धर्मपालजी की 'इण्डियन सायन्स एण्ड टेकनोलॉजी इन दी एटीन्थ सेंचुरी' में भारत में विज्ञान व तकनीकी परंपराओं को प्रमाणों के साथ उद्घाटित किया गया है। वर्तमान में संस्कृत भारती ने संस्कृत में विज्ञान और वनस्पति विज्ञान, भौतिकी, धातुकर्म, मशीनों, रसायन शास्त्र आदि विषयों पर कई पुस्तकें निकालकर इस विषय को आगे बढ़ाया। बेंगलूरु के एमपी राव ने विमानशास्त्र व वाराणसी के पीजी डोंगरे ने अंशबोधिनी पर विशेष रूप से प्रयोग किए। डॉ. मुरली मनोहर जोशी के लेखों, व्याख्यानों में प्राचीन भारतीय विज्ञान परंपरा को प्रभावी रूप से प्रस्तुत किया गया है।
    भारत में विज्ञान की क्या दशा और दिशा थी, उसको समझने के लिए आज भी वे ग्रंथ उपलब्ध हैं, जिनकी रचना के लिए वैज्ञानिक ऋषियों ने अपना जीवन खपया। वर्तमान में आवश्यकता है कि उनका अध्ययन हो, विश्लेषण हो और प्रयोग किए जाएं। जबकि कई विद्याएं जानने वालों के साथ ही लुप्त हो गईं, क्योंकि हमारे यहां मान्यता रही कि अनधिकारी के हाथ में विद्या नहीं जानी चाहिए। विज्ञान के संबंध में अनेक ग्रंथ थे, जिनमें से कई आज लुप्त हो गए हैं। जबकि आज भी लाखों पांडुलिपियां बिखरी पड़ी हैं। भृगु, वशिष्ठ, भारद्वाज, आत्रि, गर्ग, शौनक, शुक्र, नारद, चाक्रायण, धुंडीनाथ, नंदीश, काश्यप, अगस्त्य, परशुराम, द्रोण, दीर्घतमस, कणाद, चरक, धनंवतरी, सुश्रुत पाणिनि और पतंजलि आदि ऐसे नाम हैं; जिन्होंने विमान विद्या, नक्षत्र विज्ञान, रसायन विज्ञान, अस्त्र-शस्त्र रचना, जहाज निर्माण और जीवन के सभी क्षेत्रों में काम किया। अगस्त्य ऋषि की संहिता के उपलब्ध कुछ पन्नों को अध्ययन कर नागपुर के संस्कृत के विद्वान डॉ. एससी सहस्त्रबुद्धे को मालूम हुआ कि उन पन्नों पर इलेक्ट्रिक सेल बनाने की विधि थी। महर्षि भरद्वाज रचित विमान शास्त्र में अनेक यंत्रों का वर्णन है। नासा में काम कर रहे वैज्ञानिक ने सन् १९७३ में इस शास्त्र को भारत से मंगाया था। इतना ही नहीं, राजा भोज के समरांगण सूत्रधार का 31वें अध्याय में अनेक यंत्रों का वर्णन है। लकड़ी के वायुयान, यांत्रिक दरबान और सिपाही (रोबोट की तरह)। चरक संहिता, सुश्रुत संहिता में चिकित्सा की उन्नत पद्धितियों का विस्तार से वर्णन है। यहां तक कि सुश्रुत ने तो आठ प्रकार की शल्य क्रियाओं का वर्णन किया है। सृष्टि का रहस्य जानने के लिए आज जो महाप्रयोग चल रहा है, उसकी नींव भी भारतीय वैज्ञानिक ने रखी थी। सत्येन्द्रनाथ बोस के फोटोन कणों के व्यवहार पर गणितीय व्याख्या के आधार पर, ऐसे कणों को बोसोन नाम दिया गया है। 
    भारत में सदैव से विज्ञान की धारा बहती रही है। बीच में कुछ बाह्य आक्रमणों के कारण कुछ गड़बड़ अवश्य हुई लेकिन यह धारा अवरुद्ध नहीं हुई। 'भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा' एक ऐसी पुस्तक है, जो भारत के युवाओं को अवश्य पढऩी चाहिए।

पुस्तक : भारत में विज्ञान की उज्ज्वल परंपरा
मूल्य : ६० रुपए
लेखक : सुरेश सोनी
प्रकाशक : अर्चना प्रकाशन
१७, दीनदयाल परिसर, ई/२ महावीर नगर,
भोपाल-४६२०१६, दूरभाष - (०७५५) २४६६८६५
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