पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण
Saturday, 22 January 2011
26 जनवरी गणतंत्र दिवस की एकता यात्रा व विरोध के स्वरों का निहितार्थ
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण
Monday, 17 January 2011
काफ़ी कैट (मार्जार काफ़ी) नखरों की हद्द नहीं------------------------विश्व मोहन तिवारी, पूर्व एयर वाइस मार्शल
जब मैने पढ़ा कि दिल्ली में ही एक विदेशी कम्पनी की काफ़ी की दूकान में एक प्याला काफ़ी दो या ढाई सौ रुपये का मिलता है वह कीमत की ऊँचाई आज के विदेशी भक्त्तों की श्रद्धा के बावजूद समझ में नहीं आ रही थी।
'डाउन टु अर्थ' में पढ़ा कि एक जंगली मार्जार ( सिवैट – जंगली बिल्ली) जब काफ़ी के गूदेदार फ़ल खाकर उसके बीज अपने गू (मल) में त्याग देता या देती है, तब जो उस बीज की काफ़ी बनती है, उसकी महिमा अपरम्पार है। यह माना जाता (प्रचारित किया जाता है) है कि एशियाई ताड़ -मार्जार की अँतड़ियों के आवास में से होकर जब वह बीज निकलता है तब उसमें दिव्य गंध का वास हो जाता है, यद्यपि इस प्रक्रिया का कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। ऐसा माना जाता है कि मार्जार की अँतड़ियों में आवासीय एन्ज़ाइम इसके कड़ुएपन को कम करते हैं और सुगंध को बढ़ाते हैं।
भारत में इस तरह की काफ़ी के अकेले उत्पादक (?) सत्तर वर्षीय टी एस गणेश कहते हैं कि उऩ्हें इस काफ़ी और सामान्य दक्षिण भारतीय काफ़ी के स्वाद या सुगंध में कोई अंतर नहीं मालूम होता।
यह काफ़ी तथा कथित 'वैश्विक ग्राम' के खुले बाजार में ३०, ००० रुपए प्रति किग्रा. बिकतीहै !! विश्व् मे ( दक्षिण एशिया में) इसका कुल उत्पादन मात्र २०० किग्रा. प्रतिवर्ष है। और मजे की बात यह है कि यद्यपि विश्व में इसके बीज का उत्पादन ( जंगल में खोजकर बटोरना) बहुत कम होता है, विदेशी कम्पनियां टी एस गणेश के 'मार्जार काफ़ी' बीजों को खरीदने के लिये तैयार नहीं हैं, यद्यपि उऩ्होंने उन बीजों की प्रशंसा ही की है - यह हमारे विदेशी भक्ति का प्रतिदान है। यदि उऩ्हें यहां के बीजों की गुणवत्ता पर संदेह है तब क्या उनके सुगंध विशेषज्ञ इसे परख नहीं सकते !
टी एस गणेश तो उस दिव्य काफ़ी के बीज लगभग सामान्य काफ़ी बीजों की तरह ही मात्र २५० रु. किलो ही बेचते हैं, क्योंकि भारत में इसकी माँग नहीं है। किन्तु हमारी विदेश भक्ति देखिये कि यद्यपि विदेशी कम्पनी हम से खरीदने को तैयार नहीं हैं, हम दो या ढाई सौ रु. में इस विदेशी काफ़ी का एक प्याला पीने को तैयार हैं, हमारा आखिर 'काफ़ी कैट' (कापी कैट) होना तो एक महान गुण है ही।
Saturday, 1 January 2011
युगदर्पण मित्र मंडल Yug Darpan सभी भाषाओँ में
युगदर्पण की योजना, हिंदी ही नहीं सभी भाषाओँ में
समर्थ सशक्त व समृद्ध भारत हेतु ..राष्ट्र हित सर्वोपरि -
यूनान मिस्र रोमा सब मिट गए जहाँ से
कुछ बात है कि अब तक बाकि निशान हमारा !
यह राष्ट्र हमारी पहचान है, इसके बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं !
पतंग आकाश में जो तन के उड़ा करती है,
जड़ों से कट के वो पैरों में गिरा करती है
..वर्तमान भ्रष्ट, विकृत पत्रकारिता का ही सार्थक विकल्प देने का प्रयास विगत 10 वर्ष से चल रहा है!
चैत्र नव रात्र (4 अप्रेल) युग दर्पण का स्थापना दिवस है! देश के सभी राज्यों में शाखा विस्तार करना है !
-अभी युगदर्पण को शीघ्र ही सभी भाषाओँ में करना है, क्या आप इससे जुड़ना चाहते हैं?
एक सार्थक पहल मीडिया के क्षेत्र में राष्ट्रीय साप्ताहिक युग दर्पण (भारत सरकार के सूचना प्रसारण के समाचार पत्र पंजीयक द्वारा पंजी RNI DelHin 11786/2001) 10 वर्ष पूर्व स्वस्थ समाचारों के प्रतिनिधि बना युगदर्पण अब उनके प्रतीक के रूपमें पहचाना जाता है. विविधतापूर्ण किन्तु सप्तगुणयुक्त- सार्थक,सटीक, स्वस्थ,सोम्य, सुघड़,सुस्पष्ट, व सुरुचिपूर्ण पत्रकारिता का एक ही नाम युगदर्पण. पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है (हरयाणा/पंजाब में सूचीबद्ध)- तिलक संपादक युगदर्पण 09911111611, comm on orkut / grp on face book ... युगदर्पण मित्र मंडल Yug Darpan
panjabi...ਯੁਗਦਰ੍ਪਣ ਮਿਤ੍ਰ ਮਂਡਲ Yug Darpan ਸਭੀ ਭਾਸ਼ਾਓਂ ਮੇਂ
ਯੁਗਦਰ੍ਪਣ ਕੀ ਯੋਜਨਾ, ਹਿਂਦੀ ਹੀ ਨਹੀਂ ਸਭੀ ਭਾਸ਼ਾਓਂ ਮੇਂ
ਸਮਰ੍ਥ ਸਸ਼ਕ੍ਤ ਵ ਸਮਰਦ੍ਧ ਭਾਰਤ ਹੇਤੁ ..ਰਾਸ਼੍ਟ੍ਰ ਹਿਤ ਸਰ੍ਵੋਪਰਿ -
ਯੂਨਾਨ ਮਿਸ੍ਰ ਰੋਮਾ ਸਬ ਮਿਟ ਗਏ ਜਹਾਂ ਸੇ
ਕੁਛ ਬਾਤ ਹੈ ਕਿ ਅਬ ਤਕ ਬਾਕਿ ਨਿਸ਼ਾਨ ਹਮਾਰਾ !
ਯਹ ਰਾਸ਼੍ਟ੍ਰ ਹਮਾਰੀ ਪਹਚਾਨ ਹੈ, ਇਸਕੇ ਬਿਨਾ ਹਮਾਰਾ ਕੋਈ ਅਸ੍ਤਿਤ੍ਵ ਨਹੀਂ !
ਪਤਂਗ ਆਕਾਸ਼ ਮੇਂ ਜੋ ਤਨ ਕੇ ਉਡ਼ਾ ਕਰਤੀ ਹੈ,
ਜਡ਼ੋਂ ਸੇ ਕਟ ਕੇ ਵੋ ਪੈਰੋਂ ਮੇਂ ਗਿਰਾ ਕਰਤੀ ਹੈ
..ਵਰ੍ਤਮਾਨ ਭ੍ਰਸ਼੍ਟ, ਵਿਕਰਤ ਪਤ੍ਰਕਾਰਿਤਾ ਕਾ ਹੀ ਸਾਰ੍ਥਕ ਵਿਕਲ੍ਪ ਦੇਨੇ ਕਾ ਪ੍ਰਯਾਸ ਵਿਗਤ 10 ਵਰ੍ਸ਼ ਸੇ ਚਲ ਰਹਾ ਹੈ!
ਚੈਤ੍ਰ ਨਵ ਰਾਤ੍ਰ (4 ਅਪ੍ਰੇਲ) ਯੁਗ ਦਰ੍ਪਣ ਕਾ ਸ੍ਥਾਪਨਾ ਦਿਵਸ ਹੈ! ਦੇਸ਼ ਕੇ ਸਭੀ ਰਾਜ੍ਯੋਂ ਮੇਂ ਸ਼ਾਖਾ ਵਿਸ੍ਤਾਰ ਕਰਨਾ ਹੈ !
-ਅਭੀ ਯੁਗਦਰ੍ਪਣ ਕੋ ਸ਼ੀਘ੍ਰ ਹੀ ਸਭੀ ਭਾਸ਼ਾਓਂ ਮੇਂ ਕਰਨਾ ਹੈ, ਕ੍ਯਾ ਆਪ ਇਸਸੇ ਜੁਡ਼ਨਾ ਚਾਹਤੇ ਹੈਂ?
Guj...યુગદર્પણ મિત્ર મંડલ Yug Darpan સભી ભાષાઓઁ મેં
યુગદર્પણ કી યોજના, હિંદી હી નહીં સભી ભાષાઓઁ મેં
સમર્થ સશક્ત વ સમૃદ્ધ ભારત હેતુ ..રાષ્ટ્ર હિત સર્વોપરિ -
યૂનાન મિસ્ર રોમા સબ મિટ ગએ જહાઁ સે
કુછ બાત હૈ કિ અબ તક બાકિ નિશાન હમારા !
યહ રાષ્ટ્ર હમારી પહચાન હૈ, ઇસકે બિના હમારા કોઈ અસ્તિત્વ નહીં !
પતંગ આકાશ મેં જો તન કે ઉડ઼ા કરતી હૈ,
જડ઼ોં સે કટ કે વો પૈરોં મેં ગિરા કરતી હૈ
..વર્તમાન ભ્રષ્ટ, વિકૃત પત્રકારિતા કા હી સાર્થક વિકલ્પ દેને કા પ્રયાસ વિગત 10 વર્ષ સે ચલ રહા હૈ!
ચૈત્ર નવ રાત્ર (4 અપ્રેલ) યુગ દર્પણ કા સ્થાપના દિવસ હૈ! દેશ કે સભી રાજ્યોં મેં શાખા વિસ્તાર કરના હૈ !
-અભી યુગદર્પણ કો શીઘ્ર હી સભી ભાષાઓઁ મેં કરના હૈ, ક્યા આપ ઇસસે જુડ઼ના ચાહતે હૈં?
Bangla...আ.সূচনা,...যুগদর্পণ মিত্র মংডল Yug Darpan সভী ভাষাওঁ মেং
comm on orkut / grp on face book ... యుగదర్పణ మిత్ర మండల Yug Darpan
Malm...യുഗദര്പണ മിത്ര മംഡല Yug Darpan സഭീ ഭാഷാഓം മേം
യുഗദര്പണ കീ യോജനാ, ഹിംദീ ഹീ നഹീം സഭീ ഭാഷാഓം മേം
സമര്ഥ സശക്ത വ സമൃദ്ധ ഭാരത ഹേതു ..രാഷ്ട്ര ഹിത സര്വോപരി -
യൂനാന മിസ്ര രോമാ സബ മിട ഗഏ ജഹാം സേ
കുഛ ബാത ഹൈ കി അബ തക ബാകി നിശാന ഹമാരാ !
യഹ രാഷ്ട്ര ഹമാരീ പഹചാന ഹൈ, ഇസകേ ബിനാ ഹമാരാ കോഈ അസ്തിത്വ നഹീം !
പതംഗ ആകാശ മേം ജോ തന കേ ഉഡാ കരതീ ഹൈ,
ജഡോം സേ കട കേ വോ പൈരോം മേം ഗിരാ കരതീ ഹൈ
..വര്തമാന ഭ്രഷ്ട, വികൃത പത്രകാരിതാ കാ ഹീ സാര്ഥക വികല്പ ദേനേ കാ പ്രയാസ വിഗത 10 വര്ഷ സേ ചല രഹാ ഹൈ!
ചൈത്ര നവ രാത്ര (4 അപ്രേല) യുഗ ദര്പണ കാ സ്ഥാപനാ ദിവസ ഹൈ! ദേശ കേ സഭീ രാജ്യോം മേം ശാഖാ വിസ്താര കരനാ ഹൈ !
-അഭീ യുഗദര്പണ കോ ശീഘ്ര ഹീ സഭീ ഭാഷാഓം മേം കരനാ ഹൈ, ക്യാ ആപ ഇസസേ ജുഡനാ ചാഹതേ ഹൈം?
Kann....ಯುಗದರ್ಪಣ ಮಿತ್ರ ಮಂಡಲ Yug Darpan ಸಭೀ ಭಾಷಾಓಂ ಮೇಂ
ಯುಗದರ್ಪಣ ಕೀ ಯೋಜನಾ, ಹಿಂದೀ ಹೀ ನಹೀಂ ಸಭೀ ಭಾಷಾಓಂ ಮೇಂ
ಸಮರ್ಥ ಸಶಕ್ತ ವ ಸಮೃದ್ಧ ಭಾರತ ಹೇತು ..ರಾಷ್ಟ್ರ ಹಿತ ಸರ್ವೋಪರಿ -
ಯೂನಾನ ಮಿಸ್ರ ರೋಮಾ ಸಬ ಮಿಟ ಗಏ ಜಹಾಂ ಸೇ
ಕುಛ ಬಾತ ಹೈ ಕಿ ಅಬ ತಕ ಬಾಕಿ ನಿಶಾನ ಹಮಾರಾ !
ಯಹ ರಾಷ್ಟ್ರ ಹಮಾರೀ ಪಹಚಾನ ಹೈ, ಇಸಕೇ ಬಿನಾ ಹಮಾರಾ ಕೋಈ ಅಸ್ತಿತ್ವ ನಹೀಂ !
ಪತಂಗ ಆಕಾಶ ಮೇಂ ಜೋ ತನ ಕೇ ಉಡಾ ಕರತೀ ಹೈ,
ಜಡೋಂ ಸೇ ಕಟ ಕೇ ವೋ ಪೈರೋಂ ಮೇಂ ಗಿರಾ ಕರತೀ ಹೈ
..ವರ್ತಮಾನ ಭ್ರಷ್ಟ, ವಿಕೃತ ಪತ್ರಕಾರಿತಾ ಕಾ ಹೀ ಸಾರ್ಥಕ ವಿಕಲ್ಪ ದೇನೇ ಕಾ ಪ್ರಯಾಸ ವಿಗತ 10 ವರ್ಷ ಸೇ ಚಲ ರಹಾ ಹೈ!
ಚೈತ್ರ ನವ ರಾತ್ರ (4 ಅಪ್ರೇಲ) ಯುಗ ದರ್ಪಣ ಕಾ ಸ್ಥಾಪನಾ ದಿವಸ ಹೈ! ದೇಶ ಕೇ ಸಭೀ ರಾಜ್ಯೋಂ ಮೇಂ ಶಾಖಾ ವಿಸ್ತಾರ ಕರನಾ ಹೈ !
-ಅಭೀ ಯುಗದರ್ಪಣ ಕೋ ಶೀಘ್ರ ಹೀ ಸಭೀ ಭಾಷಾಓಂ ಮೇಂ ಕರನಾ ಹೈ, ಕ್ಯಾ ಆಪ ಇಸಸೇ ಜುಡನಾ ಚಾಹತೇ ಹೈಂ?
A +ve substitute to present -ve media emerged as a mission for last 10 yrs. all subjects in refined, compact form- Yug Darpan National Hindi weeklyfrom Delhi. Empanelled with Haryana Govt, & Punjab Govt, Fast expanding to other states, likely to convert to a Daily, & a TV channel, with your support.
Wednesday, 29 December 2010
अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं
अंग्रेजी का नव वर्ष, भले ही मनाएं
Bangla...
অংগ্রেজী কা নব বর্ষ, ভলে হী মনাএং
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण
Thursday, 23 December 2010
मनमोहनी मुखौटा व इच्छाशक्ति
Wednesday, 22 December 2010
(भ्रष्टाचार के विरुद्ध) 2010 घोटाला वर्ष घोषित
राजग ऐसी सभाएं दोहराएगी देश के 12 स्थानों पर, जिला/ ग्राम स्तर धरनों से जनजागरण
घोटाले की जाँच की संसद में राजग की मांग संप्रग ने ठुकराई, तो भ्रष्टाचार के विरुद्ध राजग का महासंग्राम संसद से सड़क तक पहुँच गया ! जब PAC केवल सरकार के बही खाते में अंकित लेखा जोखा जांचने तक सीमित है, जाँच के नाम लीपा पोती कर छवि सुधारने की नियत से वहां जाने वाले प्र.मं. JPC से क्यों डरते हैं ?
इस वर्ष संप्रग के घोटालों के खुलासे ने सावन भादों की झड़ी लगा दी, यह घोटाला वर्ष के रूप से जाना जायेगा !
राजग के विभिन्न घटक व समर्थक अपने प्रभाव वाले क्षेत्र में करेंगे जनजागरण 1) असम गौहाटी 9 जन.2) महाराष्ट्र मुंबई 16 जन .3) उड़ीसा भुवनेश्वर 17 जन. 4) राजस्थान जयपुर 19 जन.5) तमिलनाडु चैने 21 जन.6) उ.प्र. कानपुर 5 फर.7) हरयाणा रोहतक 6 फर. 8) म.प्र. भोपाल 9) गुज. अहमदाबाद 10) पंजाब लुधियाना की घोषणा अभी नहीं हुई !
10+1 प्रमुख घोटाले 1) 2 जी स्पेक्ट्रम 2) राष्ट्र मंडल खेल 3) आदर्श सोसायटी 4) सडा गला खाद्यान्न 5) चावल निर्यात 6) सार्वजानिक वितरण 7) मु.सतर्कता आयुक्त नियुक्ति 8) LIC Housing 9) सत्यम घोटाला 10) IPL कोच्ची घोटाला और अब प्याज घोटाला
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण
Saturday, 18 December 2010
काकोरी कांड (क्या भारत आजाद है ?)
काकोरी कांड (क्या भारत आजाद है ?)
को गति देने के लिए धन की तत्काल व्यवस्था की आवश्यकता के कारण शाहजहाँपुर में हुई बैठक
के मध्य राजेन्द्रनाथ ने अंग्रेजी सरकार का खजाना लूटने की योजना बनाई।
इस योजना को कार्यरूप देने के लिए राजेन्द्रनाथ ने 9 अगस्त 1925 को
लखनऊ के काकोरी से छूटी 8 डाउन ट्रेन पर क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ और
ठाकुर रोशन सिंह व 19 अन्य सहयोगियों के सहयोग से धावा बोल दिया।
बाद में अंग्रेजी शासन ने सभी 23 क्रांतिकारियों पर काकोरी कांड के नाम पर
सशस्त्र युद्ध छेड़ने तथा खजाना लूटने का मुकदमा चलाया जिसमें राजेन्द्रनाथ,
रामप्रसाद बिस्मिल, अशफाक उल्ला खाँ तथा रोशन सिंह को फाँसी की सजा सुनाई गई।
!! आज है, 19 दिसंबर 1927 का वह दिन जब 'काकोरी कांड' के क्रांतिकारियों को फांसी दी गयी.
आइये उनका स्मरण करते हैं !!
काकोरी जो लखनऊ जिले में एक छोटा सा गाँव हैं. स्वतंत्रता संग्राम को कुचलने भेजी
बंदूके और धन रोकने हेतु अंग्रेजो की ट्रेन को यहाँ लूटा गया इसलिए इसका
नाम काकोरी ट्रेन डकैती पड़ा. सबसे पहले राजेंद्र लाहिड़ी को 17 दिसंबर सन
1927 को गोंडा जिले (उत्तर प्रदेश) में फांसी दी गयी. ट्रेन को लूटने में
कुल 10 क्रन्तिकारी साथी थे. किन्तु जब गिरफ्तारियां हुई तो 40 से भी अधिक
लोग पकडे गए. कुछ तो निर्दोष थे. अशफाक उल्ला और बख्शी लाल तुरंत नहीं
पकडे जा सके. अंग्रेजी शासन ने इस मुकदमे में 10 लाख रुपये से भी अधिक व्यय किया.
बनवारी लाल ने गद्दारी की और इकबालिया गवाह बन गया. इसने सभी
क्रांतिकारियों को पकड़वाने में अंग्रेजो की सहायता की. इसे भी 5 वर्ष की
सजा हुई. 18 महीने तक मुक़दमा चला पंडित राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र
लाहिड़ी और रौशन सिंह को फांसी की सजा हुई. राजेंद्र लाहिड़ी की 'अपील को
प्रीवी काउन्सिल' ने अस्वीकार कर दिया. शचींद्र नाथ सान्याल को कालेपानी की
सजा हुई. बाद में पकडे गए अभियुक्तों में अशफाक उल्ला को फैजाबाद जिले में 19 दिसंबर को
फांसी हुई और बख्शी लाल को कालेपानी की सजा हुई.
( जो हज करने जाते हैं ) कि भांति 'लवेक' कहते और कलाम पढ़ते हुए फांसी के
तख्ते के पास गए. तख्ते को उन्होंने चूमा और सामने खड़ी भीड़ से कहा ( जो
उनकी फांसी को देखने आई हुई थी ) "मेरे हाथ इंसानी खून से कभी नहीं
रगें, मेरे ऊपर जो इलज़ाम लगाया गया वह गलत हैं. खुदा के यहाँ मेरा इन्साफ
होगा" ! इतना कह कर उन्होंने फांसी के फंदे को गले में डाला और खुदा का नाम
लेते हुए दुनिया से कूच कर गए.
उनके रिश्तेदार, चाहने वाले शव को शाहजहांपुर ले जाना चाहते थे.
बड़ी मिन्नत करने के बाद अनुमति मिली इनका
शव जब लखनऊ स्टेशन पर उतारा गया , तब कुछ लोगो को देखने का अवसर मिला.
चेहरे पर 10 घंटे के बाद भी बड़ी शांति और मधुरता थी बस आँखों के नीचे कुछ
पीलापन था. शेष चेहरा तो ऐसा सजीव था जैसे कि अभी अभी नींद आई
हैं, यह नींद अनंत थी. अशफाक कवि भी थे उन्होंने मरने से पहले शेर लिखा था
- "तंग आकर हम भी उनके जुल्म के बेदाद से !
चल दिए अदम ज़िन्दाने फैजाबाद से !!
ऐसे क्रांतिकारियों को मेरा कोटि कोटि प्रणाम !"
प्रश्न उठता है क्या भारत आजाद है? अंग्रेज़ी शासन व इस शासन में अंतर है ?
इसे देख दोनों प्रश्नों के उत्तर में कोई भी कहेगा - नहीं
अंग्रेज़ी शासन में भी देश भक्तों व उनके समर्थकों तक को प्रताड़ित किया जाता था,
तथा शासन समर्थकों को राय साहब की पदवी व पुरुस्कार मिलते थे ?
आज भी शर्मनिरपेक्ष शासन में देश भक्तों को भगवा आतंक कह प्रताड़ित तथा
अफज़ल व आतंकियों को समर्थन, कश्मीर के अल कायदा के कुख्यात आतंकवादी
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण