DESH KE CHAUKIDAR, देशका चौकीदार कहे- देश भक्तो, जागते रहो- संपादक युगदर्पण
यदि आप 31 दिस. की रात के हंगामे से जुड़ने जा रहे हैं, कृपया, एक बार सोचें अवश्य / बेगानी शादी में अब्दुल्ला दीवाना तो सुना था किन्तु बिना कारण का हंगामा व् बर्बादी क्यों ? जिसे नया वर्ष बताया जा रहा है, वह मात्र एक कैलेंडर का बदलना ही तो है ! उस कैलेंडर के बदलने से हमारे जीवन का क्या बदल रहा है ? कुछ नहीं, न ही उसका हमारे इतिहास या संस्कृति के किसी महत्वपूर्ण दिवस से कोई सम्बन्ध है, न सृष्टि की रचना से ! जिसको ईस्वी संवत कहते हैं उसका ईसा के जनम से भी कोई सम्बन्ध नहीं, वो भी 25 दिस. को है ! तो फिर 31 की रात हंगामा किस बात का ? केवल सर्दियों में होटल क्लब अपनी मंदी मिटाने व सूरा सुंदरी की बिक्री के लिए गढ़ा गया, अंग्रेजी भाषा, व अंग्रेजी नया वर्ष वास्तव में अंग्रेजी दासत्व तोलने का एक तराजू है ! जब तक यह चलेगा उनको दीखता रहेगा की सत्ता हस्तांतरण के बाद भी हमारे दास अपनी दास मानसिकता से चिपटे है !
अंग्रेजी भाषा, व अंग्रेजी नया वर्ष को त्यागकर ही तो हम दूसरी आज़ादी का शंख नाद कर सकते हैं ! तो आओ हम सब इनका परित्याग करने का प्राण करें !
पत्रकारिता व्यवसाय नहीं एक मिशन है-युगदर्पण
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